15 साल की नाबालिग लेने जा रही थी फेरे, तभी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रुकवाई शादी
फेरे लेने जा रही 15 साल की नाबालिग बच्ची की शादी को पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रोक दिया। सरकार ने शादी के लिए निश्चित उम्र घोषित की होती है, लेकिन कुछ जानकारी के अभाव में या जानते हुए भी कुछ लोग अपने नाबालिग बच्चों की शादी करवाते हैं। इसी तरह का एक मामला पिथौरागढ़ में सामने आया था जिसमें 15 साल की नाबालिग लड़की की शादी करवाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शादी को रोक दिया।
पिथौरागढ़ : सरकार ने शादी के लिए एक निश्चित उम्र तय की होने के बावजूद देश के कई हिस्सों में लोग अपने नाबालिग बच्चों की शादी करवाते हैं, जानते हुए या कुछ जानकारी की कमी के कारण। पिथौरागढ़ में भी ऐसा ही हुआ, जहाँ 15 साल की नाबालिग लड़की की शादी करवाई जा रही थी। लेकिन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस शादी को रोक दिया।
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई : थाना अध्यक्ष गंगोलीहाट मंगल सिंह ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि ग्राम जड़तोला चिमटा में एक नाबालिग लड़की की शादी हो रही है। बारात घर पर पहुंचने के बाद पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए थाने से शादी समारोह में पहुंची जहां नाबालिग की शादी हो रही थी। दूल्हा और दुल्हन दोनों शादी की रस्में निभा रहे थे। पुलिस टीम ने शादी को रोका और जन्म प्रमाण पत्रों की जाँच की गई। जिसमें लड़की की उम्र 15 वर्ष 4 महीने पाई गई। इसके बाद दोनों परिवारों की काउंसलिंग की गई और उन्हें बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के सम्बन्ध में कानूनी जानकारी दी गई कि नाबालिग की शादी कराना अपराध है। यह समझाया गया कि नाबालिग की शादी कराना कानून के अनुसार अपराध है।
परिवार ने मानी अपनी गलती : यह एक बहुत ही दुखद घटना है कि बाल विवाह की घटनाएं आज भी हमारे समाज में होती हैं। इस समय, दोनों परिवारों ने गलती स्वीकार की है और उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्धता भी जताई है। इस घटना से समाज को एक सख्त संदेश मिलना चाहिए कि बाल विवाह एक अपराध है और कोई भी इस तरह की घटना को नहीं बचा सकता है।
अब, बच्ची बालिग होने पर शादी की जाएगी जो अच्छी खबर है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं अब नहीं होनी चाहिए और समाज को इसे एक अपराध के रूप में देखना चाहिए। इसे रोकने के लिए, हमें सभी को संज्ञान में लेना चाहिए कि बाल विवाह अपराध है और इसे कड़ाई से नुकसान पहुंचाने वाला है। इससे सम्बंधित जागरूकता अभियान, शिक्षा और संसाधनों का वितरण और कानून के लिए सख्ती से अपनाए जाने वाले संबंधित अधिनियमों के पालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।