हर-हर महादेव मित्रों । दोस्तों, यूं तो उत्तराखंड में बिनसर महादेव के
अनेक मन्दिर हैं लेकिन कुमाऊं स्थित यह पवित्र मन्दिर सर्वप्रसिद्ध है ।
हमारे गढवाली पाठक तो 'बिनसर' का अर्थ भी समझते होंगे चूँकि गढवाली में
बिनसर का तात्पर्य नई सुबह होता है । इस अर्थ से बिनसर महादेव नवप्रभात के
शंभुनाथ हैं ।
रानीखेत से १९ किमी. की दूरी पर बिन्सर महादेव मंदिर समुद्र तल से २४८० मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से घने देवदार के वनों से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में गणोश, हरगौरी और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। महेशमर्दिनी की प्रतिमा पर मुद्रित नागरीलिपि मंदिर का संबंध नौवीं शताब्दी से जोड़ती है। इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। इसीलिए मंदिर को बिन्देश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल जून के महीने में बैकुंड चतुर्दिशी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।
रानीखेत से १९ किमी. की दूरी पर बिन्सर महादेव मंदिर समुद्र तल से २४८० मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से घने देवदार के वनों से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में गणोश, हरगौरी और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। महेशमर्दिनी की प्रतिमा पर मुद्रित नागरीलिपि मंदिर का संबंध नौवीं शताब्दी से जोड़ती है। इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। इसीलिए मंदिर को बिन्देश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल जून के महीने में बैकुंड चतुर्दिशी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।